ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Friday, May 8, 2020
मुक्तक मां
चारों धाम मिले छू कर,वो पावन मां के पांव है।
रोम-रोम यूं प्यार भरा है,मां शीतल सा गाँव है।
आंधी-तूफ़ा हों चाहे या धूप हमारे हिस्से की।
अपने हिस्से सब ले लेती,माँ ममता की छांव है।
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