ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Sunday, July 19, 2009
जुही की कली सी
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मैं और मेरी चिड़िया
तुम और तुम्हारी आंखें
जुही की कली सी
तेरा प्यार नौका सा हिचकोले खाता है
घर
मैं तेरे नाम
सावन उनसे जाके कहना रे
कविवर श्री अल्ह्ड बीकानेरी की अध्क्षता में काव्य पाठ
हरियाणा के राज्य कवि श्री उदय भानु हंस के साथ
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