एक कविता मनकही..
तहखानों,तस्वीरों और संदूकों में
छिपा तो लेती हैं बहुत कुछ
पर छोड़ नहीं पाती
इन्हें संभालना,सजाना
जब-तब सीने से लगा
सुबकियां लगाना
क्यूँकि
स्त्रियां अक्सर
चीज़ें तो रखकर भूल जाया करती हैं
पर कभी नहीं भूलतीं
रिश्ते,यादें, एहसास...
ताउम्र,तमाम सांस....
ऋतु गोयल
आपकी तरह खूबसूरत और गहरी है आपकी कविता-आपके अहसास...
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