ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
एक नदी हूँ मगर जी रही प्यास हूँ स्नेह का दीप हूँ एक अरदास हूँ मेरे आँचल में है हर खुशी हर घड़ी यूँ तो जननी हूँ मैं फिर भी संत्रास हूँ ऋतु गोयल
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