ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Sunday, December 22, 2019
मुक्तक प्रेम
भावों से भरी राधिका सी बावरी हूँ मैं।
जो मिल न सकी उम्र भर ऐसी धुरी हूँ मैं।
क्या दोष है कान्हा मेरे तुम मुझको बताना।
अधरों पे क्यूं न सज सकी एक बांसुरी हूँ मैं।
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