ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Monday, December 30, 2019
मुक्तक(प्रेम)
भावों से भरी राधिका सी बावरी हूँ मैं
जो मिल न सकी उम्र भर ऐसी धुरी हूँ मैं
क्या दोष है कान्हा मेरे तुम मुझको बताना
अधरों पे क्यूँ न सज सकी एक बाँसुरी हूँ मैं
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