ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Thursday, October 1, 2020
मुक्तक बुजुर्गों
निभाने की जिन्हें संस्कारों की आदत नहीं होती।
दिलों में जिनके हमदर्दी औ मोहब्बत नहीं होती।
बुजुर्गों के लबों पर जो न मुस्कानों को रख पाए।
कभी भी उनके घर में फिर कोई बरकत नहीं होती।
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