ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Friday, October 2, 2020
मुक्तक स्वाभिमान
हरगिज़ दया किसी की गंवार नहीं मुझे
खुद संवरी हूँ किसी ने सँवारा नहीं मुझे
जब भी मेरी कश्ती किसी तूफान में डूबी
उसके सिवा किसी ने उबारा नहीं मुझे
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