Monday, December 30, 2019

मुक्तक(स्वाभिमान)

मुझको न कोई मान न समान चाहिए
इंसा से अलग और न पहचान चाहिए
मेरी है तमन्ना कि मैं ऐसे काम कर चलूं
हर दिल में रह सकूँ यही वरदान चाहिए

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