मौन
शब्द ज़रुरी नहीं
अभिव्यक्ति के लिये
साथ होना भर काफ़ी है
व्यक्ति के लिये
अहसास
कोई भाषा नहीं मांगता
प्यार है
तो व्यक्त हो ही जायेगा
थोड़ा चुप रह कर तो देखो
सच मज़ा आयेगा
कहां ओढ़ते हैं पेड़
शब्दों का आवरण
और चुपचाप
सूरज,चांद,तारे भी
जी लेते हैं
अपना आचरण
शब्दों ने प्यार को
प्यार कह कर
कमज़ोर ही किया है
मौन के संगीत को
कोलाहल ही दिया है
मेरे भीतर भी
एक संगीत है
मौन
पर उसे
सुने कौन