Friday, January 10, 2020

मुक्तक प्रेम

आईने का वो अब गरूर गया
साथ काजल के मेरा नूर गया
मैं भी अब खुद में कहां बाकि हूँ
जब से तू मुझसे बहुत दूर गया
तू भी अब मुझसे बहुत दूर गया

तू ही पूजा है तू इबादत है
तू ही तो इक मेरी अमानत है
मेरी आँखों से दूर मत जाना
हर कदम पे तेरी जरूरत है

ख्वाब बिन जैसे कोई नैन नहीं
चांद बिन जैसे कोई रैन नहीं
चाहे शिकवा हो या मोहब्बत हो
बिन तेरे मुझको कहीं चैन नहीं



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