Sunday, October 13, 2019

एक मामूली आदमी की फाइल

एक मामूली आदमी की फ़ाइल

हाँ मैं तलाश में हूँ
पर कहाँ ढूँढू उसे.....

ये ऊंचे भवन
लंबे गलियारें
गलियारों में कमरें
दरवाजों पर तख्तियां
तख्तियों पर ओहदें

कितनी टेबलें
कितनी फ़ाइलें
फाइलों में पृष्ठ
पृष्ठों में पत्र
पत्रों में शब्द
शब्दों में अक्षर
अक्षर सुनहरे
जिनमें लिखा है
धैर्य..धैर्य और धैर्य...

जी हां जो एक कमरे से
दूसरे कमरे से तीसरे
राज्य दर राज्य

शहर दर शहर

भवन दर भवन

होकर गुजरता है
यह धैर्य कितना प्रबल होता है

इन्हीं फ़ाइलों में जन्मता,फ़ाइलों में मरता है
पर कमबख्त ,किसी के हाथ नहीं आता है
मैं कैसे ढूँढू इसे....

वास्को दि गामा ने भारत की खोज की
पर आज खोई एक फ़ाइल तो ढूँढ के लाएं
यहां कितनी ही कुंजियाँ कहीं दब कर खो गई हैं
इनसे कहो इसे ढूंढ, फिर से इतिहास बनाएं

हमारी आदतें अपनी आदतों से मजबूर हो गई हैं
आम आदमी के हाथों से दूर हो गई हैैं

जिनके हाथ लंबे हैं 

उनको हर चीज़ हाथों हाथ मिलती हैं

और वे जिनके हाथ कुछ नहीं होता

वे हाथ-पाँव मार कर भी

हाथ मलते रह जाते हैं

देखो
यह सफेद बाल कभी काले होते थे
अब झुर्रियां तक बुढ़ाने लगी हैं
ये चमचमाते जूते घर से रोज़ निकलते थे
टाई, बेल्ट बांधे एक जेंटलमेन था वह
पर फ़ाइल ढूंढते-ढूंढते
बेतरतीब हो गया

कतारों में खड़ा, अजीब हो गया

तब तय हुआ एक सपना,
उसके घर में
बेटों के,बेटी के सबके
सफर में

डॉक्टर,इंजीनियर,वैज्ञानिक सब
अपनी-अपनी फ़ाइलें बंद कर गए
कहीं कतारों में न टैलेंट मर जाये
इस खातिर अपनों से ही दूर चले गए।

और यह ओल्ड जेंटलमैन
फिर भी कतारों में खड़ा है
पुरातन है इसलिए 

सिद्धांतों पर अड़ा है

पेंशन, पी एफ,ग्रेच्यूटी
न जाने कौन-कौन सी फ़ाइलें ढूंढ रहा है

और भी न जाने ऐसे कितने ही लोग

अपने ज़िंदा होने का सबूत लिए

कतारों में खड़े हैं

और कुछ तो सरकारी दफ़्तरों के

कालचक्र में ही औंधे मुंह पड़े हैं

भूलिये मत

आपकी,मेरी और हम सबकी

एक-एक फ़ाइल

एक ऐसे अफसर के हाथ में है

जो हमारे गुनाहों को कभी माफ नहीं करेगा

गर हमने बेगुनाहों को सज़ा दी

तो वो भी हमें जरूर दंडित करेगा।



जी हां
मैं ढूंढना चाहती हूं उसकी सब फ़ाइलें
बिना वक्त गवाएं
कही सांसें न थम जाएं
या फिर 
सर्वर डाउन न हो जाएं

आइयें हम सब ढूंढते हैं वो फ़ाइल

जिसमें देश का भविष्य लिखा है

और जो हर आम आदमी के पसीने में दिखता है


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