Friday, July 26, 2019

कुछ मुक्तक कश्मीर पर

यह देश के विरुद्ध साफ एक जिहाद है।
यह तीन सौ सत्तर स्वयं में एक विवाद है।
नेता जी अलगाव-अलगाव गा रहे।
यह देश द्रोह है औ'यही आतंकवाद है।

यूं बाँट न सकोगे इसे एक जान है।
ये काश्मीर भारती का स्वाभिमान है।
जन-जन की इस आवाज़ को फारुख जी सुनो।
हारा है न हारेगा ये,हिन्दोस्तान है।

जो तुमको नहीं आता,अमन चैन से रहना।
तो हमको भी कब आया किसी जुल्म को सहना।
तुम चल रहे किस नक्शे-कदम है नहीं शरम।
नक्शा ही गर मिटा दिया तो फिर नहीं कहना।

जिसने सही हो पीर वो तो मीर हो गया।
चादर में हो न दाग़ तो कबीर हो गया।
यूं तो हरेक प्रांत ही हमको अज़ीज है।
पर जो दिल के है करीब वो कश्मीर हो गया/बेहद अजीज सबका कश्मीर हो गया।

माँ भारती का शीश है, कश्मीर हमारा।
आधा नहीं थोड़ा नहीं, सारा का ही सारा।
कटने नहीं देंगे इसे, झुकने नहीं देंगे।
जन्नत से भी बढ़ कर है ये, प्राणों से भी प्यारा।

वो है ईमानदार बड़ा,वो उदार है।
मोदी नहीं है नाम फ़क़त,एक विचार है।
प्रहरी है मातृभूमि का वो चौकीदार है।
जादू नमो-नमो का सभी पर सवार है।

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