Friday, October 16, 2020

बापू महात्मा गांधी

तुमको चरखा,खादी और स्वदेशी गीत सदा भाए।
तुम सत्य,अहिंसा, सादगी के साधक बन आए।
साबरमती के संत कहाए आज़ादी भी दिलवाई
तुम ही राष्ट्रपिता,महात्मा औ' बापू कहलाए।


बापू तेरा हर इक बंदर नेकी हमको सिखलाए।
कभी न देखे बुरा, न बोले बुरा, बुरा ना सुन पाए।
नोटों पर तस्वीर तेरी ये राह सत्य की दिखलाए।
फिर भी जाने क्यों जन-जन का चंचल मन भटका जाए।

Friday, October 2, 2020

मुक्तक स्वाभिमान

हरगिज़ दया किसी की गंवार नहीं मुझे
खुद संवरी हूँ किसी ने सँवारा नहीं मुझे
जब भी मेरी कश्ती किसी तूफान में डूबी
उसके सिवा किसी ने उबारा नहीं मुझे

मुक्तक देशभक्ति

वो लोग क्या जिये जो बस, अपने लिए जिये
एक-एक सांस हो हमारी, देश के लिए
है घोर तिमिर चारों तरफ मेरे साथियों
जलना भी पड़ा तो जलेंगे बनके हम दिए

Thursday, October 1, 2020

मुक्तक बुजुर्गों

निभाने की जिन्हें संस्कारों की आदत नहीं होती।
दिलों में जिनके हमदर्दी औ मोहब्बत नहीं होती।
बुजुर्गों के लबों पर जो न मुस्कानों को रख पाए।
कभी भी उनके घर में फिर कोई बरकत नहीं होती।