Thursday, September 17, 2009

टीचर


             टीचर

 अ से अनार
आ से आम
वर्णमाला के एक- एक अक्षर
हमारी टीचर ने उसी तरह
हमारे मुंह में डाले
जिस तरह मां ने
मुंह में निवाले

मां आंचल में छिपाये रखना चाहती थी
टीचर दुनिया से मुकाबला करवाती थी
मां कभी परीक्षा नहीं लेती
ताकि हम हार न जाएं
टीचर बार- बार परीक्षाएं लेती
जिससे हम जीतना सीख पाएं

माँ अक्सर प्रेमवश
 हमारी गलतियां ढांपती थी
पर हम नेक बन सके
इसलिए टीचर
हर गलती पर डांटती थी


माँ हम संग अपना
भविष्य संजोती रही
पर टीचर यह जानते हुए भी कि
हम एक दिन दूर चले जायेंगे
हमारा भविष्य संवारती रही


 माँ कहती उधर मत चढ़ना गिर जाओगे
टीचर कहती बेशक गिरो
पर बार बार चढ़ना
एक दिन संभल जाओगे

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