Thursday, January 21, 2010

डायरी


डायरी


मेरी उम्र
मेरे बरसों से नहीं
तेरे पृष्ठों से जुड़ी है
ओ डायरी
तेरे भरने तक
मेरा जीना बहुत जरूरी है
ये कोरे कागज़ नहीं
मेरी वे सांसें हैं
जिन्हें मैंने अब तक जीया नहीं हैं
कहो इन्हें भरे बिना ही मर जाऊं
यह बात सही है

डायरी
तुम शब्दों का वो सच हो
जिसका जनम आसान नहीं होता
अगर हो जाये तो कभी अवसान नहीं होता
इसीलिये
जीने दो शब्दों के साथ मुझे अभी और
भरने दो ये कोरे कागज़ ताकि
जी सकूं मरने के बाद भी
शब्दों के साथ
ज़िन्दगी बन कर

1 comment:

  1. bahi.waah...
    jamane baad itne josh aur jameen se judi kavita sunane ko mili hai.
    iswar aapke kalam ko aur takat de jisase aap ham jaise ko apne lekhon se lagaatar prerna dete rahe.

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