Friday, August 22, 2014

तुम यूँ ही आया करो ....

तुम यूँ ही आया करो ....


तुम यूं ही आया करो
रोज़ तड़के -तड़के
अलार्म बनके

क्यूंकि जिस दिन तुम आती हो ना
भोर बन के
उस दिन शाम ढले भी आंखों में
 रौशनी पसरी रहती है

और जब
तुम करती हो न ची-ची ,ची-ची
तो शोर में भी
कोई गीत गुनगुनाता है

क्यूंकि
अलार्म, मोबाइल ,डोर बेल
जगा तो देते हैं मुझे
पर तोड़ नहीं पाते
मेरी नींद
भर नहीं पाते मुझमें
कुछ और

पर तुम भरती हो मुझमें
चिड़िया
नन्हीं सी होकर
बड़ा सा आसमान



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