ज़िन्दगी
ज़िन्दगी एक किताब है
अलबम है,सिनेमा है
जिसमें वो सब कुछ है
जो एक कहानी के लिये आवश्यक है
कथ्य या कथा तय है
आरम्भ से इति तक
पात्र हम स्वयं हैं
और हमारा लेखक,फोटोग्राफ़र,निर्देशक
अपनी कलम, कैमरे व कल्पनाओं के
अनुरूप हमें ढालता है
वो जब चाहे कथा में ट्विस्ट ला सकता है
जब चाहे किसी पात्र को एन्ट्री दिला सकता हे
या फ़िर कहानी से एकदम आउट कर सकता है
वो चाहे तो अपनी कल्पनाओं से कहानी में प्रेम भर कर
उसके शिल्प व सौंदर्य को निखार सकता है
या फिर बड़ी निर्ममता से ट्रेजिडी गढ़ कर
पात्रों को रुला सकता है
वो कहनी में इतने सस्पेंस भरता है
पात्रों को टेन्स करता है
कि पात्र कहानी के नायक-नायिका होते हुए भी
उसके दया के पात्र बन कर रह जाते हैं
और जब कोई रीयल लाइफ़ हीरो बनने की कोशिश करता है
तो उसका लेखक या निर्देशक
उसका द एन्ड कर ये बता देता है
कि जिसकी कल्पनाओं से कहानी का सृजन हुआ है
उसकी कलम की ताकत से बढ़ कर
कोई ताकत नहीं होती
और हम सब उसके गढ़े पात्र हैं
हमारी अपनी कोई कहानी नहीं होती
ज़िन्दगी एक किताब है
अलबम है,सिनेमा है
जिसमें वो सब कुछ है
जो एक कहानी के लिये आवश्यक है
कथ्य या कथा तय है
आरम्भ से इति तक
पात्र हम स्वयं हैं
और हमारा लेखक,फोटोग्राफ़र,निर्देशक
अपनी कलम, कैमरे व कल्पनाओं के
अनुरूप हमें ढालता है
वो जब चाहे कथा में ट्विस्ट ला सकता है
जब चाहे किसी पात्र को एन्ट्री दिला सकता हे
या फ़िर कहानी से एकदम आउट कर सकता है
वो चाहे तो अपनी कल्पनाओं से कहानी में प्रेम भर कर
उसके शिल्प व सौंदर्य को निखार सकता है
या फिर बड़ी निर्ममता से ट्रेजिडी गढ़ कर
पात्रों को रुला सकता है
वो कहनी में इतने सस्पेंस भरता है
पात्रों को टेन्स करता है
कि पात्र कहानी के नायक-नायिका होते हुए भी
उसके दया के पात्र बन कर रह जाते हैं
और जब कोई रीयल लाइफ़ हीरो बनने की कोशिश करता है
तो उसका लेखक या निर्देशक
उसका द एन्ड कर ये बता देता है
कि जिसकी कल्पनाओं से कहानी का सृजन हुआ है
उसकी कलम की ताकत से बढ़ कर
कोई ताकत नहीं होती
और हम सब उसके गढ़े पात्र हैं
हमारी अपनी कोई कहानी नहीं होती
सकी कलम की ताकत से बढ़ कर
ReplyDeleteकोई ताकत नहीं होती
और हम सब उसके गढ़े पात्र हैं
हमारी अपनी कोई कहानी नहीं होती
-बहुत बढ़िया.
आपकी रचना बहुत सुन्दर है.
ReplyDeleteबिलकुल सही अटल सत्य - सच्चा सन्देश देती प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteगहरी पकड़ है आपकी इस विधा में... आभार.
ReplyDeleteआदरणीया ॠतु गोयल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
ॠतु बसंत नाम में ही मेरे लिए इतना आकर्षण है कि मैं तुरंत आपके यहां आ पहुंचा ।
लेकिन यहां पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया । आपका कोई और ब्लॉग हो तो लिंक भेजें, कृपया ।
हम सब उसके गढ़े पात्र हैं
हमारी अपनी कोई कहानी नहीं होती
सच कहा आपने ।
पूरी कविता अच्छी है । पढ़ते हुए एक पुराना गीत याद आ गया -
ज़िंदगी एक नाटक है
हम नाटक में काम करते हैं …
~*~ नव वर्ष २०११ मंगलमय हो ! ~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Duniya ke hone ki itni gahan aur sidhi si sachai ko itne sidhe aur sapaat andaaz me pesh karne wali Rituji, aapko sadhuwaad dene ke liye mere pass to itne alfaaz bhi nahi hain jinhen thik thaak kaha ja sake..fir v man ka har kona kehta hai ki aapko anginat badhaiyan dun ...
ReplyDeleterajputajaybhan@gmail.com
bahut khoob ... bahut hi sunder ...
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