तुम्हारा प्यार...
टूटी पलकों से मन्नत में
मांगा है तुमको
हर बार
हिचकियों ने
चाहा है तुमको
मेरी थकन में भी है
तुम्हारा उल्लास
और बेहोशियों में होता है
तुम्हारा आभास
जब भी रुकती हूं
तो चलने को कहता है
इंतजार तुम्हारा
और जब टूट जाती हूं
तो जोड़ देता है
ये प्यार तुम्हारा
जिस दिन तुम्हें भूलने की करती हूं कोशिश
ReplyDeleteउस दिन गगन में चांद तो आता है
पर चांदनी नहीं
सुन्दर शब्द रचना ।
Wah jawab nahi kavita ka....
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