Saturday, August 21, 2010

तुम्हारा प्यार





तुम्हारा प्यार...


टूटी पलकों से मन्नत में
मांगा है तुमको
हर बार
हिचकियों ने
चाहा है तुमको
मेरी थकन में भी है
तुम्हारा उल्लास
और बेहोशियों में होता है
तुम्हारा आभास
जब भी रुकती हूं
तो चलने को कहता है
इंतजार तुम्हारा
और जब टूट जाती हूं
तो जोड़ देता है
ये प्यार तुम्हारा


2 comments:

  1. जिस दिन तुम्हें भूलने की करती हूं कोशिश
    उस दिन गगन में चांद तो आता है
    पर चांदनी नहीं
    सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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