Saturday, August 21, 2010

हमारे दरमियां


रिश्ते


    (१)

घर की एक-एक चीज़ को
कई-कई बार साफ़ करती है वह
शायद इस भ्रम में कि
उनके रिश्तों के दरमियां जमी
धूल साफ़ हो जायं





    (२)

वह जो शो पीस सजा है ना
खूबसूरत महंगा सा
ड्राईंगरूम की शोभा बढ़ाने
शुक्र है उसके दरमियां
बारिक दरारें नहीं दिखती
बस सज जाता है मकान
बेशक वहां
न मिट पाती हो थकान


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