Sunday, July 19, 2009

घर



           घर 

घर तो घर होता है
जहां सबका बसर होता है
घर वो दर होता है
जहां कोई न ड़र होता है

चाहे जितना ऊंचा उड़ ले
पंछी घर आता है
चाहे दर -दर खा ले ठोकर
घर ही अपनाता है
नीड़ तलक पंछी का
इक लम्बा सफ़र होता है
घर तो घर होता है

घर भाई- बहनों की राखी
बाबा की लाठी है
आंधी तूफ़ां सब सह ले जो
मां सी कद काठी है
घर की आबो हवा में
जादू-सा असर होता है
घर तो घर होता है

आंगन से आकाश की बातें
बारिश की टप -टप है
छोटे -छोटे बच्चों की भी
खूब बड़ी गप -शप है
घर का हर इक  कोना 
छाया का शजर होता है 
घर तो घर होता है

चूड़ी, बिन्दियां, पायल, कंगना,
आंखों की भाषा है
घर बंजारे मन की सबसे
पहली  अभिलाषा है
जो हैं बेघर उन पे
मौसम का कहर होता है
घर तो घर होता है

1 comment:

  1. आंगन से आकाश की बातें,बारिश की टप टप है
    छोटे छोटे बच्चों की भी खूब बड़ी गप शप है
    बहुत सुन्दर -- आपने तो यादो को जीवित कर दिया --- आंगन से ---

    ReplyDelete