एस.एम.एस व ई मेल
यूं तो कुछ मिनटों में ही पँहुच जाते हैं अब
अपनी संवेदनाएँ व भावनाएँ प्रकट करने
हमारे एस॰एम॰एस॰
और कभी ई-मेल के माध्यम से भी
एक दूसरे के बारे में जान लेते हैं हम
और इसी को दोस्ती, प्रेम
न जाने क्या-क्या मान लेते हैं हम
पर सच तो यह है कि
अब हम एक दूसरे के बारे में जानते ही कहाँ है
क्योंकि
जब भी मैं खेलना चाहती हूँ बारिश की बूंदों से
ठीक उसी वक्त उनका एस॰एम॰एस॰
अपनी तरक्की में व्यस्त होने की खबर सुनाता है
जिस दिन में मैं रोना चाहती हूं
उनके कांधे पे सर रख के
तो मेरा उस दिन वाला एस॰ एम॰ एस॰ दूसरे दिन
देर से ही डिलीवर हो पाता है
जब मेरी आँखें भीग रही होती हैं गहरे दुख में
तब आंसू पौंछने वे नहीं उनका चुटकिला सा
मैसेज़ आता है
और जब भी मैं भेजना चाहती हूं कोई मनचला
सा मैसेज़ उनको अपने मोबाइल से
तो ठीक उसी वक्त उनका कोई फारवार्डेड गायत्री मंत्र
मुझ तक पँहुच जाता है
इस तरह
हम एक दूसरे तक पँहुच कर भी पँहुच नहीं पाते हैं
क्योंकि अब हम
एस॰एम॰एस॰ व ई मेल के माध्यम से
ही करीब आते हैं
अपनी तरक्की में व्यस्त हम
कम्प्यूटर व मोबाइल के की-पैड व बटनों
में उलझे यह भूल गए हैं कि
आँखों के आँसू, जिस्म का बुखार
होठों की थरथराहट, दिलों की पुकार
को अब भी
उंगलियों की छुअन, धड़कता हुआ मन
साँसों की गरमाहट, दहलीज पर आहट
भावनाओं को अभिव्यक्ति
हर व्यक्ति को एक व्यक्ति
की आवश्यकता है
किसी बेजान यन्त्र की नहीं
क्योंकि
कम्प्यूटर व मोबाईल प्रेम की भाषा नहीं जानते
हाँ प्रेम की भाषा
वो कबूतर समझता था जो लाता ले जाता था
प्रेमियों के खत संभाल के
वो डाकिया जानता है
जो सूंघ लेता है बन्द लिफाफ़ों से
शब्दों में बिखरी ढेर सारी खुशबू
इसी लिये गलत पते वाली चिट्ठी भी
सही जगह पहुंचाने को करता है जुस्तजू
हां प्रेम की भाषा मौसम जानता है
क्योंकि
उसमें धड़कता मन होता है
पर ये कम्प्यूटर और मोबाईल क्या समझेंगे
इनमें तो डिलिट का बटन होता है
abhibhoot kar diya
ReplyDeleteanandit kar diya
badhai!
कुछ नहीं होगा अवांछित
ReplyDeleteजब तक कविता है जीवित
हमारे मन में ।
नए जमाने के ये गैजेट्स
भी
ढल जाएँगे कविता के रंग में
थोड़ी प्रतीक्षा करें।
तब होगा सब कुछ पहले जैसा
सब्र करें।
Well done!!!
ReplyDeleteChandar Meher
Avatar Merher Baba Ji Ki Jai
avtarmererbaba.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com
trustmeher.org
क्या बात है
ReplyDeletekyaa baat hai....aisa laga ki ye to mere hi man kee baat hai....magar aapne kaise jaani mere man kee baat ritu ji....??
ReplyDeleteअच्छा है...
ReplyDeleteजब आप चाहें कि चित्र के साथ कविता हो, पर कविता की पंक्तियां उसके बगल में घुसी जा रही हों और किसी भी तरह संभलने को राजी ना हो...मतलब की चित्र बडा करो तो अच्छा नहीं लगता..छोटा करो तो वही समस्या बगल वाली..सेन्टर में अच्छा नहीं लगता क्योंकि कविता बांये ही अच्छी लगती है..जब आप इतनी सारी समस्याओं से एक साथ जूझ रही हो..तब अचानक ये पता चले..
जैसे कि मुझे चला था..
कि चित्र को अपलोड करते समय उसका लेआउट none पर सलेक्ट कर लें तो यह समस्या नहीं रहती...
तो रात को नींद अच्छी आती है...
हम खुद ही अपना रास्ता चुनते हैं।
ReplyDeleteफिर खुद ही झुंझलाते है, थोडा सा भी इधर उधर हो जाए कुछ तो।
जम कर लानते भेजते हैं।
और ऐसा तब ज्यादा होता है, जब हम इसके खिलाफ़ वाकई में कुछ नहीं करना चाहते हैं, जब हम इसको नियती मानकर इसी के हिसाब से अनुकूलित हो जाना चहते हैं।
तब ऐसा झूंठ-मूठ का रोना-धोना हमें हमारी ग्लानी को कम करने में मदद करता है।
दरअसल, अगर वाकई में हम कुछ बचाना चाह रहे होते हैं, तो फिर बचा ही रहे होते हैं, नये तरीके विकसित कर रहे होते हैं। और जब ये कर रहे होते हैं, तो फिर लानतें भेजने की जरूरत नहीं रहती।
जब घर में आग लगती है, तो हम अपने सारा जरूरी या कीमती सामान सबसे पहले समेटते हैं और बाहर भागते हैं।
और फिर बाहर जाकर, सुरक्षित महसूस करते ही, बाकी चीजों के लिए रोना-धोना शुरू कर देते हैं। मेरा ये, मेरा वो, हमारा वो।
ये ऐसा ही है।
कतई अन्यथा ना लें, समय की आदत ही ऐसी है।
दिल में जरा सा भी चोट पहुंची हो तहे दिल से मुआफ़ी।
ऊपर लिखा भूल जाएं, और यह पढ़ें:
लाजबाब, बेहतरीन
भावों की ऐसी अन्यतम अभिव्यक्ति अद्वितीय है
दिल को छूलेने के लिए बहुत-बहुत बधाईयां
आधुनिक जीवन की सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित करने वाली विसंगति को आपने सीधे, सरल शब्दों में प्रभावशाली तरीके से काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है । आपकी कविता का कथ्य, शिल्प, भाव और विचार सभी प्रभावित करते हैं। सूक्ष्म संवेदना को आपने बडी बारीकी से रेखांकित किया है । बधाई ।
ReplyDeleteमैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और अपनी राय भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
Great.....
ReplyDeletedamdar,jandar,shandar,bhavpurn.narayan narayan
ReplyDeleteu write best & best
ReplyDeletefor my poem www.deepupoem.blogspot.com
कम शब्दों में कहूँ तो खूबसूरत भाव एवं प्रस्तुति। वाह ऋतु जी।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मन सबका एक सा होता है. जो हर मौसम का आनंद लेना चाहता है. हम तो अपने सुख-सुविधा के जुगाड़ में बस खोये हैं.
ReplyDeleteऔर अपने मन में ज़बरन कृत्रिमता का बिज बोए हैं !!
एक बात जो बहुत ख़ास है - ये संचार क्रान्ति ही है जहाँ हमारी कवितायें साथ साथ है.
अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद !!
- यादों का इंद्रजाल
bahut achcha,main abhibhoot hoon.
ReplyDeleteसबसे अच्छा उपाय तो यह ब्लॉग लेखन है, कम से कम आपकी भावनाएँ जान लोग अपनी टिप्पणी दे ही दे देते हैं कुछ शान्ति के लिए। एसएमएस, ईमेल सब छोड़ दें।
ReplyDeleteप्रिय बहन,
ReplyDeleteवह बात आपने कह दी जो मैं जब-जब इनसे कहने की कोशिश करती हूँ तो बस महाभारत का विकराल संग्राम पलक झपकते शुरू हो जाता है और भावनाएं मर कर चेहरे को पथरीला बना जाती हैं . अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
shubhkaamnayen.
ReplyDeleteबहुत अच्छी !!
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद !!
ReplyDeleteachchee kavita hai..
ReplyDeleteपर ये कम्प्यूटर व मोबाईल क्या समझेंगे
क्योंकि इनमें तो डिलिट का बटन होता है
और कोई अपनी जिन्दगी की किताब से प्रेम के
अध्याय को ही डिलिट कर सके
ऐसा कोई मन होता है
adhunikta aur taknik ne kya liya ham se aur kya diya hai--aap ne kavita mein bakhoobi kaha hai.
ब्लॉग जगत में एक आधुनिक रचना के साथ आपका प्रवेश स्वागत योग्य है, मशीन का मन नहीं होता, लेकिन हर आविष्कार के पीछे न जाने कितनी भावनाएं और संवेदनाएं छिपी होती हैं, जैसे आपने अपनी रचना का सृजन किया है ।
ReplyDeleteसंवेदनाओं से भरी अन्य रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी ।
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDelete