Saturday, April 6, 2019

स्त्रियां भूल नहीं पाती अहसास

एक कविता मनकही..
 
तहखानों,तस्वीरों और संदूकों में
छिपा तो लेती हैं बहुत कुछ
पर छोड़ नहीं पाती
इन्हें संभालना,सजाना
जब-तब सीने से लगा
सुबकियां लगाना
क्यूँकि
स्त्रियां अक्सर
चीज़ें तो रखकर भूल जाया करती हैं
पर कभी नहीं भूलतीं
रिश्ते,यादें, एहसास...
ताउम्र,तमाम सांस....
              
                              ऋतु गोयल

1 comment:

  1. आपकी तरह खूबसूरत और गहरी है आपकी कविता-आपके अहसास...

    ReplyDelete