पंडित दीन दयाल जी की जन्म शताब्दी को नमन.....
कुछ दीन हैं कुछ हीन पर ये तो दीन- दयाल हैं।
कुछ की सुकुड़ती भृकुटियां पर ये शौर्य- भाल हैं।
हैं शिखर एक युग-पुरुष, राष्ट्र का गौरव हैं ये
संघ की ये आत्मा और हम सभी का ढाल हैं।
राष्ट्र हित में निज हितों को त्याग कर चलते रहे।
संगठन सुदृढ़ हो इस खातिर बस बढ़ते रहे।
संघ की जब नींव पर जनसंघ की इमारत हुई
वे एक शिल्पकार से बस मूर्तियां गढ़ते रहे।
जय हिंद
ऋतु गोयल
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