मेरे जीवन आदर्श अटल जी को समर्पित मेरी एक कविता....शब्दाजंलि
अटल गुणों की खान थे,सम्पूर्ण थे
एक शिखर पुरुष ह्रदय से पूर्ण थे
हुंकार कभी टंकार,कवि का ओज थे वे
राष्ट्र का अभिमान,युगों की खोज थे वे
वे धधकती ज्वाल एक मसाल थे
माँ भारती का चमचमाता भाल थे
सुशासन के उनको हर आसन आते थे
सहज,चुटीले उनको हर भाषण आते थे
वे रसीले बातों में कितना रस था
उनकी कथनी-करनी में कितना कस था
राजनीति की कीच में कुछ अलग खिले थे
थे औरों से शिकवे उनसे नहीं गिले थे
विश्व पटल पर हिंदी का सम्मान किया था
भाषण हो या कविता माँ का गान किया था
कभी परमाणु कभी कारगिल-संग्राम थे वे
कभी भावों में डूबी ग़ज़ल की शाम थे वे
अटल इरादे उनके भू को राजमार्ग से जोड़ा था
दुनिया के देशों का रुख भारत की ओर मोड़ा था
सिंहासन शोभित था उनसे वे थे नवरत्न
कद्दावर थे मिला तभी उनको भारत रत्न
कोटि-कोटि दिल कहते हैं कोटिशः तुम्हें नमन
युगों-युगों तक महकेंगे तुमको श्रद्धा सुमन
ऋतु गोयल
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