Saturday, April 6, 2019

पहली बारिश

झोंकें, बूंदें,बारिश, छम -छम
कितने नये नये से हैं
जैसे मेरी, पहली -पहली बारिश हो
महके मन की, बहकी -बहकी ख्वाहिश हो
जैसे कोई नई- नई सी लड़की
भीग रही हो, पहले -पहले सावन में
वैसे मैं भी मौसम की हर बारिश में
नई-नई हो जाती हूं, मन ही मन में

वह नई-नई सी लड़की
पहला -पहला प्यार गुनगुनाती है
और मैं वहीं पुराना गीत दोहराती हूं
जैसे नया-नया हो प्यार
पहली-पहली बारिश का

वह ताज़ा-ताज़ा लड़की
निखर जाती हैं बारिश में
और मेरी यादे,सूखे फूल
महक उठते हैं बारिश में

वह नई-नई सी लड़की
फूल,तितली,गौरया
बिजली बन जाती है
और मैं मन बन कर
खिल जाती हूं
पहली बारिश सी रिम-झिम, रिम-झिम
सावन के वहीं पुराने झूलें
वहीं महक पुरानी
हथेलियों पे रचाती हूं

मन ही मन मैं, पहला- पहला
दर्पण हो जाती हूं
जैसे मेरी पहली-पहली बारिश हो

वह लड़की
अब भी मुझमें है
कभी बड़ी नहीं होती
हर सावन में आती है
पहली- पहली बारिश बन कर
महकी-महकी
बहकी-बहकी
बिल्कुल ताज़ा,बिल्कुल वैसी
हर सावन में
भीतर मन में
आ जाती है
अब भी वह
पहली-पहली बारिश बन कर
एक अजब सी ख्वाहिश बन कर
                        

1 comment:

  1. शानदार, आप आज भी खुद के करीब हैं.
    "वो लड़की
    अब भी मुझमें है
    कभी बड़ी नहीं होती
    हर सावन में आती है
    पहली- पहली बारिश बन कर
    महकी-महकी
    बहकी-बहकी
    बिल्कुल ताज़ा,बिल्कुल वैसी
    हर सावन में
    भीतर मन में
    आ जाती है
    अब भी
    वो
    पहली-पहली बारिश बन कर
    एक अजब सी ख्वाहिश बन कर"

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