झोंकें, बूंदें,बारिश, छम -छम
कितने नये नये से हैं
जैसे मेरी, पहली -पहली बारिश हो
महके मन की, बहकी -बहकी ख्वाहिश हो
जैसे कोई नई- नई सी लड़की
भीग रही हो, पहले -पहले सावन में
वैसे मैं भी मौसम की हर बारिश में
नई-नई हो जाती हूं, मन ही मन में
वह नई-नई सी लड़की
पहला -पहला प्यार गुनगुनाती है
और मैं वहीं पुराना गीत दोहराती हूं
जैसे नया-नया हो प्यार
पहली-पहली बारिश का
वह ताज़ा-ताज़ा लड़की
निखर जाती हैं बारिश में
और मेरी यादे,सूखे फूल
महक उठते हैं बारिश में
वह नई-नई सी लड़की
फूल,तितली,गौरया
बिजली बन जाती है
और मैं मन बन कर
खिल जाती हूं
पहली बारिश सी रिम-झिम, रिम-झिम
सावन के वहीं पुराने झूलें
वहीं महक पुरानी
हथेलियों पे रचाती हूं
मन ही मन मैं, पहला- पहला
दर्पण हो जाती हूं
जैसे मेरी पहली-पहली बारिश हो
वह लड़की
अब भी मुझमें है
कभी बड़ी नहीं होती
हर सावन में आती है
पहली- पहली बारिश बन कर
महकी-महकी
बहकी-बहकी
बिल्कुल ताज़ा,बिल्कुल वैसी
हर सावन में
भीतर मन में
आ जाती है
अब भी वह
पहली-पहली बारिश बन कर
एक अजब सी ख्वाहिश बन कर
शानदार, आप आज भी खुद के करीब हैं.
ReplyDelete"वो लड़की
अब भी मुझमें है
कभी बड़ी नहीं होती
हर सावन में आती है
पहली- पहली बारिश बन कर
महकी-महकी
बहकी-बहकी
बिल्कुल ताज़ा,बिल्कुल वैसी
हर सावन में
भीतर मन में
आ जाती है
अब भी
वो
पहली-पहली बारिश बन कर
एक अजब सी ख्वाहिश बन कर"