Monday, December 15, 2014

बाबूजी

                

      बाबू जी 

तुम्हारी दुआ 
इतनी असरदार हो जायेगी 
मेरे नाज़ो-नखरे उठाएगी 
ये सोचा न था 
जब दहल उठता था मन 
तुम्हारी डाट के डर से बाबू जी 
और वो डर इतना जरूरी बन जाएगा 
मुझको गलत करने से 
अब तक बचाएगा 
ये सोचा न था 
जब तुम साथ थे मेरे बाबू जी 
और दूर हो के भी 
तुम करीब हो जाओगे 
मेरे हर ज़िक्र में यूं आओगे 
ये कब सोचा था 
जब जा रहे थे 
छोड़ कर 
तुम बाबू जी 

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