ॠतु बसंत
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
Saturday, December 13, 2014
किताब
किताब
मेरी धड़कनो के करीब
सीने से लग जाती हो
मेरी तन्हाई में
सहचरी बन आती हो
और
महकता है आज भी
तुममें यादों का गुलाब
कितनी प्यारी हो किताब ....
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