लक्ष्मीबाई
घर से दफ़्तर
और
दफ़्तर से घर के बीच
जब देखती हूँ
मूरत
रानी लक्ष्मीबाई की
तब मुझको भी लगता है
आसान
रिश्तों को कांधे पर समेटे हुए
मातृत्व को कलेजे से लपेटे हुए
वाकर ,स्मिथ ,हूरोज़
जैसो से लड़ना
हर मुश्किल में
आगे बढ़ना
ॠतु गोयल की मानवीय संवेदनाओं से जुडे ब्लाग में आप का स्वागत है
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