राजनीति
राजनीति की सीलन पर
उग आये हैं कुकुरमुत्ते
मजदूर -किसान -दलित -महिला
हवा -प्रकाश -जल -खाद्द हैं
घास दूब सी है जनता
जो हरियाली ला सकती है
पर अंधेर नगरी में
कैक्टस की अफसरशाही है
बासी, उबाऊ ,सीलन वाले
कुकुरमुत्ते को नहीं मालूम
कैसे जिया जा सकता है
ताज़ा हवा
चमकती धूप में
इसलिए
वे जीते हैं
वर्षों से वोट मांगती
बस बासी आदत की तरह
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