स्त्रियाँ
तहखानों,तस्वीरों
और संदूकों में
छिपा तो लेती हैं बहुत कुछ ...
पर छोड़ नहीं पाती
इन्हें संभालना ,सजाना
जब-तब सीने से लगा
सुबकिया लगाना
क्यूंकि
स्त्रियाँ अक्सर
चीज़ें तो रख कर भूल जाया करती हैं
पर कभी नहीं भूलती
अपने रिश्ते,यादे ,
अहसास ..
ताउम्र ,तमाम सांस
...
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