Monday, December 15, 2014

इंतज़ार


 इंतज़ार


जानती  हूँ
यह तुम्हारी दस्तक नहीं
बस हवा का झोका है 
जो मेरा दरवाज़ा खटखटा गया 
पर जानते हुए भी 
एक बार 
दरवाज़ा खोल कर 
देख लेने को करता है जी 
की कहीं तुम  बाहर 
शायद कर रहे हो 
मेरा इंतज़ार
पर डरती हूँ
तुम वहां नहीं हुए तो 
बंद दरवाज़े के भीतर आने वाली 
हर आहट
तुम्हारे होने का अहसास 
करवाती है मुझे 
और इंतज़ार
तुम्हारी 

दस्तक का 

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